Bindas Kr

जिस राह पर..हर बार मुझे
अपना कोई.. छलता रहा
फिर भी.. ना जाने क्यूं मैं
उसी राह ही.. चलता रहा

सोचा बहुत.. इस बार
रोशनी नहीं.. धुआं दूंगा

लेकिन.. चिराग था फितरत से
जलता रहा.. जलता ही रहा... 🌿 Bindas KR

टिप्पणियाँ